तरक्की की रेस में कैथल भी
सिटी-स्कैन
ललित शर्मा
तंग सड़कें और संकरी गलियों का इतिहास लिये कैथल नगर की जनसंख्या पिछले 30 सालों में तेजी से बढ़ी है परंतु आवास और आवागमन के साधन वही हैं। बिगड़ी यातायात व्यवस्था और पार्किंग इस शहर के लिए दो बड़ी चुनौतियां थीं जो पिछले कुछ समय से बेहतर हुई हैं। पिछले पांच सालों में इस शहर की आबो-हवा काफी बदली है। कई सरकारी भवनों ने नया रूप लिया है तो कई निजी भवन, शापिंग मॉल, शिक्षण संस्थान, ब्रांडेड शॉप्स, चमचमाती सड़कें, पर्यटन क्षेत्र आदि में आशातीत तरक्की हुई है। कैथल में जब भी किसी हुडा कालोनी के प्लाट निकलते हैं तो कीमतें आसमान छूने लगती हैं लेकिन अब शहर में संपत्ति के दाम स्थिर हो गए हैं। इससे पहले यहां प्रापर्टी के दाम इतने गिर गए थे कि प्रापर्टी डीलर और कालोनाइजर यहां प्रापर्टी खरीदते हुए डरते थे। जब से शहर का नक्शा बदला है तब से प्रापर्टी के दाम दोबारा ऊपर आने लगे हैं।
शहर एक नजर में
सेक्टर 21 में बने जिम खाना क्लब, खेल स्टेडियम, शहीद स्मारक, चिल्ड्रन पार्क, विदक्यार लेक, राजीव गांधी उद्यान, नगर परिषद कार्यालय, लोक निर्माण विभाग और नहर विभाग के रेस्ट हाऊस, पुराने किले का उद्धार, हिसार रोड को पंजाब से जोडऩे वाला बाईपास, मेन अंबाला रोड, करनाल रोड, कुरुक्षेत्र रोड, रेलवे अंडर पास, फ्लाई ओवर, लाला लाजपत राय शॉपिंग मॉल, पद्मा सिटी मॉल, सूरजमल खेल स्टेडियम, एन आई आई एल एल एम विश्वविद्यालय, जाट पॉलिटैक्रिक कॉलेज, भगवान परशुराम पॉलिटैक्रिक कॉलेज, नया बस अड्डा, डीपीएस और डिफेंस स्कूल, भीम राव अंबेडकर कालेज, हनुमान वाटिका का विस्तार आदि ऐसी बातें हैं जिन्होंने अब आम लोगों को कैथल में बसने के लिए आकर्षित करना आरंभ कर दिया है। इसके अतिरिक्त निर्माणाधीन रेलवे हाल्ट और जींद रोड पर बनने वाला अंडर पास अभी पाईप लाइन में हैं, जिनके पूरा होने पर शहर की खूबसूरती और निखरेगी।
दिल्ली और चंडीगढ़, दोनों से जुड़ा है कैथल
कैथल शहर दिल्ली, चंडीगढ़ व राजस्थान से जुड़ा है। इंटर सिटी ट्रेन चंडीगढ़ से जयपुर चलती है वहीं एक रेलगाड़ी कैथल को दिल्ली से जोड़ती है। इसी प्रकार कैथल से अंबाला और कैथल से राजगढ़ तक बनने वाले फोर लेन मार्ग के बाद कैथल शहर तरक्की की नई ऊंचाइयों पर होगा। इस समय कैथल से चंडीगढ़ जाने के लिए तीन-साढ़े तीन घंटे का समय लगता है। इस मार्ग के चार मार्गी बनने के बाद यह सफर दो घंटे तक सिमटकर रह जाएगा। इसी प्रकार हिसार होते हुए राजस्थान में जाने का रास्ता भी सुगम हो जाएगा।
नया-नवेला कैथल
शहर के रिमोट एरिया में शीघ्र विकसित होने वाली सनसिटी, गुलमोहर सिटी जैसी प्राइवेट कालोनियां विकसित होने के बाद कैथल शहर का रुतबा किसी मैट्रो सिटी से कम नहीं होगा। हुडा सेक्टर 18, हुडा सेक्टर 19, हुडा सेक्टर 20, हुडा सेक्टर 21 शहर की तरक्की को दर्शाते हैं। बता दें कि सेक्टर 19 व 20 डिवेलैप हो चुके हैं जबकि सेक्टर 18 में अभी कब्जा ही मिला है,सिर्फ 40 मकान ही निर्माणाधीन हैं। सेक्टर 21 कमोबेश तैयार है लेकिन अभी कब्जा नहीं मिला।
ऑटो मोबाइल कंपनियों के शोरूम
कैथल के इस विकास को देखते हुए ऑटो मोबाइल कंपनियों ने भी कैथल में निवेश करना आरंभ कर दिया है। इसी कड़ी में ऑटो मोबाइल कंपनी टोयोटा, शैवरले, होंडा लिजेंड, हुंडई, महिन्द्रा, निसान आदि ने अपने-अपने शोरूम खोल दिए हैं।
एजुकेशन हब
शिक्षा के क्षेत्र में भी इस शहर ने अभूतपूर्व तरक्की की है। पिछले कुछ समय में खुलने वाले अनेक शिक्षण संस्थानों ने इस शहर में शिक्षा का ऐसा प्रसार किया कि अब युवा पीढ़ी, विशेष तौर पर छात्र-छात्राओं को अपना करियर बनाने के लिए अनेक अवसर हासिल हैं। छात्र-छात्राओं को मिलने वाली सुविधाओं में भी इजाफा हुआ है। अंबाला रोड को तो एजुकेशन रोड भी कहा जाता है। क्योंकि इस रोड पर दो कालेज, विश्वविद्यालय, इंजीनियर कॉलेज है।
धान व्यापारियों की पसंद
धान की पैदावार व मार्केट की वजह से कैथल की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर है वहीं कृषि यंत्र तैयार करने में भी कैथल का नाम मशहूर है। कैथल में बने कृषि-यंत्र यूपी, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार, आन्ध्रप्रदेश, महाराष्ट्र आदि जगहों पर जाते है। यहां हैरो, टयूबवैल पार्ट, सैंट्रीफ्यूगल पम्प, इलैक्ट्रिक मोटर आदि तैयार होते हैं। हरियाणा की बड़ी मंडियों में शुमार कैथल में धान का व्यापार भी अब दिनोदिनबढ़ रहा है। धान के व्यापारी अब यहां आना और रहना पसंद करने लगे हैं। कैथल चावल का प्रमुख केन्द्र है। उद्योग की वजह से कैथल अन्य राज्यों के लोगों को भी रोजगार दे रहा है। धान के सीजन में अन्य राज्यों के लोग यहां मजदूरी करने आते हैं ,वहीं फैक्ट्रियों में कुछ शिक्षित लोगों को रोजगार मिल र
हा है।
हुडा से कालोनियां महंगी
प्रापर्टी डीलर एसोसिएशन के उपप्रधान सुरेश सिरोही ने बताया कि कैथल शहर में कई ऐसी कालोनियां भी हैं जहां हुडा से भी ज्यादा रेट हैं। इन कालोनियों में प्रोफेसर कालोनी शामिल है जहां 40 हजार रुपए प्रति वर्ग गज के दाम हैं। नेहरु गार्डन कालोनी में 35 हजार के प्रति वर्ग गज के लगभग रेट हैं। एसबीआई रोड 35 हजार रुपए से लेकर 40 हजार रुपए प्रति गज है।
माडल टाऊन जींद रोड पर 8 मरले का मकान लगभग 70 लाख रु. में मिल जाता है। माडल टाऊन ढांड रोड पर प्लाट के 25 हजार से 35 हजार रुपए प्रति वर्ग गज के दाम हैं।
मार्केट पुराने शहर में ही
शहर की मार्केट पुराने शहर में ही है। बेशक कैथल ने पिछले कुछ समय में तरक्की की हो लेकिन कैथल का संकरा बाजार आज भी रौनक व परेशानी, दोनों का सबब बना हुआ है। इस बाजार में साइकिल, रिक्शा, बाईक आदि ले जाना तो क्या, पैदल चलना भी कठिन हो जाता है। त्योहारों के दिनों में तो स्थिति और भी खराब हो जाती है।
अवैध कालोनियों में अच्छे भाव
पूरे शहर कैथल में सीवरेज व पाइप लाइन बिछी हुई है। यहां जहां भी लोग रह रहे हैं बिजली, पानी व सीवरेज की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं । शहर में कई कालोनियां ऐसी हैं जो अभी तक अवैध हैं लेकिन वहां भी अच्छे भाव हैं क्योंकि बिजली,पानी व सीवरेज जैसी सुविधाएं हैं। हालांकि ऐसी कालोनियों के प्रपोजल अब सरकार के पास वैध बनाने के लिए प्रक्रिया में हैं। इन कालोनियों में भगत सिंह कालोनी, न्यू प्यौदा रोड, मायापुरी, पंथनगर आदि शामिल हैं। इनमें नहरी पानी की सुविधा है जबकि हुडा सेक्टर में नहरी पानी की सुविधा नहीं है।